
TOP best 100+ Poem on mother in Hindi with lyrics small and short. माँ पर कविता हिंदी में - ममता की मूर्ति। Mom ke upar shayari . और भी पढ़ें - स्वर्गीय माँ पर कविता , माँ पर गीत , दिवंगत माँ पर कविता , माँ को नमन। maa shayari, status Hindi.
- Poem on Mother - माँ का सम्मान होना चाहिए ~ माँ पर कविता
माँ
माँ का हर घर में , सम्मान होना चाहिए
मान दे माँ को वही , संतान होना चाहिए
पालकर अपने उदर में, ख्वाब देखा था यही
खून से मेरे कोई, इंसान होना चाहिए
कम पड़ेंगे गिनतियाँ कैसे गिनोगे कर्ज को,
तुमको अपने फर्ज का , अनुमान होना चाहिए
प्यार के दो बोल दे, पैसा लगें न दाम कुछ
कौन कहता है तुझे धनवान होना चाहिए,
जिनने माँ देखि नहीं है , मूल्य उनसे पूछिए
जानते हैं वे, जिन्हे अनजान होना चाहिए
नाभि में कस्तूरी, लेकिन मृग बड़ा हैरान है
सामने भगवान् हैं , पहचान होना चाहिए
तुम ज़माने भर के , देवी-देवता जो पूजते
पूजा में माँ का , प्रथम स्थान होना चाहिए
कुछ नहीं है पास, फिर भी मांग कर तो देख ले
माँ का दिल पहचानने का , ज्ञान होना चाहिए
कोई भी हो जाती , योनि , धर्म इस संसार का
माँ की ममता का सदा, गुणगान होना चाहिए
उम्र क्या , कई जन्म लिख न पाओगे ये दास्ताँ
लिखने से पहले श्रवण सा, ज्ञान होना चाहिए
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दादी
कथा, पुराण , कहानी दादी
है ममतालु सुहानी दादी
इनकी सेवा मंगलकारी
शुभचिंतक वरदानी दादी
नानी
मम्मी की मम्मी है नानी
नानी जी हैं बड़ी सुहानी
रोज सुनती थी हम सबको
नानी गढ़ -गढ़ नई कहानी
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- Poem on Grandmother - दादी -नानी पर कविता

दादी
कथा, पुराण , कहानी दादी
है ममतालु सुहानी दादी
इनकी सेवा मंगलकारी
शुभचिंतक वरदानी दादी
नानी
मम्मी की मम्मी है नानी
नानी जी हैं बड़ी सुहानी
रोज सुनती थी हम सबको
नानी गढ़ -गढ़ नई कहानी
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Maa Shayari -छंद
1. बच्चों की करती रही, कष्ट उठाकर पूर्ति
माँ को दुःख देना नहीं , माँ ममता की मूर्ति।
2. मेरी यश-समृद्धि पर है माँ का अधिकार
ममता का ऋण में भला, कैसे सकूँ उतार।
3. माँ जैसा कोई नहीं कर सकता है त्याग
बच्चों की सेवा करे, रात-रात भर जाग
4. आँचल के आकाश का, मिला हमें विस्तार
माता के आशीष से, उड़ते पंख पसार
5. माँ, ममता , करुणा , दया की है मूर्ति उदार
खुद को पावन कीजिये, माँ के चरण पखार
6. पगड़ी बेची बाप की, माँ के बाजूबन्द
बेटे अपने नर्क का , खुद कर रहे प्रबन्ध
7. देवों ने भी है दिया, मातृशक्ति को मान
खेले माँ की गोद में, प्रभु बन कर संतान
8. बेटा छोटा है सदा , माता किन्तु महान
मातु यशोदा डाँटती , पकड़ कृष्ण के कान
9. विपदा आये पुत्र पर, माँ हो उठे अधीर
असहनीय माँ के लिए, है पुत्रों की पीर
10. यह दौलत करवा रही, हमसे कितने पाप
पैसे ईश्वर हो गया , नौकर मई-बाप।
11. माँ शीतल जल की नदी, बापू हैं जल स्रोत
नन्हे बेटे-बेटियाँ , सजे-धजे जलपोत।
12. माता तो हारती रही, सदा हमारी पीर
हमने ही समझी नहीं , ममता की तासीर
13. मोहग्रस्त माँ-बाप को, विवश किये संतान
माँग -पूर्ति यदि की गई, ये निचोण लें प्राण
14. बेटे गए विदेश को , माता का सुख छीन
उनकी राह निहारती ,अब भी जननि-जमीन
15. बाबू जी वट वृक्ष हैं, माँ पवित्र जासौन
करना चाहे अर्चना, इनकी भला न कौन
16. जो अपने माँ बाप को , मान चुके भगवान्
उनने मनो पढ़ लिए, सारे वेद पुराण
17. हो सकता है स्वर्ग क्या, धरती के समकक्ष
मान-पिता से देवता रहते हैं प्रत्यक्ष।
18. माँ के चरणों में रहे सारे तीरथ धाम
माता कह लो या उसे , दो ईश्वर का नाम।
19. कहाँ मिलेगा बोलिये , माता जैसा प्यार
हमको चिंतित देखकर देती नज़र उतार
20. अगर करे माँ बाप का हम सच्चा सम्मान।
मंदिर सा लगने लगे ,अपना यही माकन।
21. माँ से तो बढ़कर नहीं , हो सकते भगवान्।
ईश्वर ने भी है किया ,माँ के पय का पान।
22. शीश पकड़कर पुत्र ने ,लिया दर्द का नाम।
व्याकुल माँ दौड़ी तभी ,लेकर झंडू बाम।
23. बिपदाओ की धुप में ,जब भी झुलसे पाँव।
माता ने आशीष की ,कर दी शीतल छाँव।
25. छोड़ गये माँ -बाप को ,करने भोग -विलास।
लिखा न उनके भाग्य में ,ममता का मधुमास
26. माँ की ममता यूँ लगे ,शीत काल की धुप।
माँ ने सुख सबको दिया ,जन ,सन्यासी ,भूप।
27. आज मशीनी हो गये ,एकाकी परिवार।
कम्प्यूटर में खोजते ,मम्मी जी का प्यार।
28. ममता का चुंबक जहाँ ,सबको रखता खींच।
करे विखंडित स्बार्थ का ,गता आकर बीच।
29. माँ के हाथों का लगे ,खाना लज्जतदार।
खा जाते है रोटियाँ ,हम ज्यादा दो-चार।
30. बेटे करते डाँटकर ,माता का अपमान।
ऐसे पुत्रों से भले रहें ,मूक पशु श्वान।
31. कहते है भगवान के ,होते रूप हजार।
मुझको तो माँ ही लगे ,ईश्वर का अवतार।
32. माँ सन्तानो के लिए , सहती कष्ट सहर्ष।
नन्हा शिशु भी जनता ,अपनी माँ का स्पर्श।
33. माँ का लाड़ दुलार औ ' बापू की फटकार
बच्चो के व्यक्तित्व में, लाता यही निखार।
34. प्राणों से ज्यादा किया ,माँ ने लाड़ - दुलार।
पुत्र बढ़ापे में उसे ,देते है दुतकार।
35. जीते जी ना कर सकी जो माँ गोरसपान
करते उस की मृत्यु पर।,पंचरत्न -गौ दान।
त्याग ,समर्पण ,प्रेम और ममता लाड़ -दुलार।
है बच्चो की पौध को,माता मेघ मल्हार।
माता को यूँ देखता ,बेटा आँख तरेर।
माँ कदली के पत्र सी ,पुत्र कंटीले बेर।
माता के ऋण से भला ,कौन हुआ उध्दार।
चरणोदक लेना सदा ,माँ के चरण पखार।
चाँद -सितारे तोड़ ले ,छू ले तू आकाश।
ममता पायेगा कहाँ ,जो माता के पास।
बेटे गये विदेश को ,है धनाढ़य ,खुशहाल।
दुखियारे माँ -बाप का,कभी न पूछा हाल।
मदद न की माँ -बाप की ,लिखा न कोई पत्र।
मरने पर संपत्ति को ,बटवाने एकत्र।
है मेरा यश कीर्ति धन ,माँ पद की धूल।
माँ की ममता को भला ,कैसे सकता भूल।
चमकें द्वारे पर रखे ,दो नयनों के दिप।
माँ को उसके पुत्र ज्यों ,लगते सदा समीप।
बेटे जाते दूर जब ,कभी छोड़कर गाँव।
माता के आशीष की ,मिलती मिलों छाँव।
रूखे -सूखे गाँव से ,आते जब पकवान।
खुशबू माँ के हाथ की हर लेती मन -प्राण।
नटखट बच्चों में निरख अपने सूत का रूप।
पोतों पर पड़ने नहीं देती अम्मा धूप।
पोते में माँ को दिखे अपने सूत का रूप।
चुम उन्हें अनुभव करे ,ब्रम्हानंद अनूप।
रहवासी इस भमि का ,होता पुत्र समान।
जुदा नहीं करती उसे ,दिल का टुकड़ा मान।
दुश्मन पर भारी पड़ी ,जो शहीद की लाश।
माँ ने सीने से लगा ,किया प्रगट उल्लास।
माता जैसा है मुझे मातृभूमि से प्यार।
इसे छोड़ जाऊँ भला क्या कुबेर के द्वार।
अम्मा जब क्रोधित हुई ,मैंने पकड़े पाँव।
माँ ने कर दी पीठ पर, कृपा दृष्टि की छाँव।
बेटों पर जब भी पड़ा विपदाओं का धाम
माता की छायी दुआ , बनकर बदली श्याम
जब पुत्रों के मार्ग में , आ जाता है काल
तब माता की प्रार्थना , बन जाती है ढाल
माता के आशीष ने , दिया मुझे आकाश
आशीषों की शक्ति का, मुझे अटल विश्वाश
जब भी माँ को छोड़कर , जाता हूँ पपरदेश
माँ देती है स्वप्न में , मुझे दिशा निर्देश।
माता तेरी गोद में , सुख है स्वर्ग समान
फॉर से बनना चाहता , मैं बच्चा नादान।
दिल से तो माता कभी हुई नहीं नाराज़ ,
ठुकरा दू माँ के लिए , मैं हीरों का ताज।
माँ प्रसन्न तो हैं मुझे, मौसम सभी वसंत
माँ के आँचल में मिली, खुशियां मुझे अनंत।
मात-पिता , गुरु चरण को, सदा नवाओ शीश
जग में उन्नत भाल हो, मिले विमल आशीष
है मेरा यह कीर्ती धन , माँ के पद की धूल
मै माँ के आशीष को, कभी न सकता भूल
पल -पल था संबल बना, जिसका लाड़-दुलार
मेरी सारी कीर्ती पर, है माँ का अधिकार।
माँग -पूर्ति यदि की गई, ये निचोण लें प्राण
14. बेटे गए विदेश को , माता का सुख छीन
उनकी राह निहारती ,अब भी जननि-जमीन
15. बाबू जी वट वृक्ष हैं, माँ पवित्र जासौन
करना चाहे अर्चना, इनकी भला न कौन
16. जो अपने माँ बाप को , मान चुके भगवान्
उनने मनो पढ़ लिए, सारे वेद पुराण
17. हो सकता है स्वर्ग क्या, धरती के समकक्ष
मान-पिता से देवता रहते हैं प्रत्यक्ष।
18. माँ के चरणों में रहे सारे तीरथ धाम
माता कह लो या उसे , दो ईश्वर का नाम।
19. कहाँ मिलेगा बोलिये , माता जैसा प्यार
हमको चिंतित देखकर देती नज़र उतार
20. अगर करे माँ बाप का हम सच्चा सम्मान।
मंदिर सा लगने लगे ,अपना यही माकन।
21. माँ से तो बढ़कर नहीं , हो सकते भगवान्।
ईश्वर ने भी है किया ,माँ के पय का पान।
22. शीश पकड़कर पुत्र ने ,लिया दर्द का नाम।
व्याकुल माँ दौड़ी तभी ,लेकर झंडू बाम।
23. बिपदाओ की धुप में ,जब भी झुलसे पाँव।
माता ने आशीष की ,कर दी शीतल छाँव।
25. छोड़ गये माँ -बाप को ,करने भोग -विलास।
लिखा न उनके भाग्य में ,ममता का मधुमास
26. माँ की ममता यूँ लगे ,शीत काल की धुप।
माँ ने सुख सबको दिया ,जन ,सन्यासी ,भूप।
27. आज मशीनी हो गये ,एकाकी परिवार।
कम्प्यूटर में खोजते ,मम्मी जी का प्यार।
28. ममता का चुंबक जहाँ ,सबको रखता खींच।
करे विखंडित स्बार्थ का ,गता आकर बीच।
29. माँ के हाथों का लगे ,खाना लज्जतदार।
खा जाते है रोटियाँ ,हम ज्यादा दो-चार।
30. बेटे करते डाँटकर ,माता का अपमान।
ऐसे पुत्रों से भले रहें ,मूक पशु श्वान।
31. कहते है भगवान के ,होते रूप हजार।
मुझको तो माँ ही लगे ,ईश्वर का अवतार।
32. माँ सन्तानो के लिए , सहती कष्ट सहर्ष।
नन्हा शिशु भी जनता ,अपनी माँ का स्पर्श।
33. माँ का लाड़ दुलार औ ' बापू की फटकार
बच्चो के व्यक्तित्व में, लाता यही निखार।
34. प्राणों से ज्यादा किया ,माँ ने लाड़ - दुलार।
पुत्र बढ़ापे में उसे ,देते है दुतकार।
35. जीते जी ना कर सकी जो माँ गोरसपान
करते उस की मृत्यु पर।,पंचरत्न -गौ दान।
त्याग ,समर्पण ,प्रेम और ममता लाड़ -दुलार।
है बच्चो की पौध को,माता मेघ मल्हार।
माता को यूँ देखता ,बेटा आँख तरेर।
माँ कदली के पत्र सी ,पुत्र कंटीले बेर।
माता के ऋण से भला ,कौन हुआ उध्दार।
चरणोदक लेना सदा ,माँ के चरण पखार।
चाँद -सितारे तोड़ ले ,छू ले तू आकाश।
ममता पायेगा कहाँ ,जो माता के पास।
बेटे गये विदेश को ,है धनाढ़य ,खुशहाल।
दुखियारे माँ -बाप का,कभी न पूछा हाल।
मदद न की माँ -बाप की ,लिखा न कोई पत्र।
मरने पर संपत्ति को ,बटवाने एकत्र।
है मेरा यश कीर्ति धन ,माँ पद की धूल।
माँ की ममता को भला ,कैसे सकता भूल।
चमकें द्वारे पर रखे ,दो नयनों के दिप।
माँ को उसके पुत्र ज्यों ,लगते सदा समीप।
बेटे जाते दूर जब ,कभी छोड़कर गाँव।
माता के आशीष की ,मिलती मिलों छाँव।
रूखे -सूखे गाँव से ,आते जब पकवान।
खुशबू माँ के हाथ की हर लेती मन -प्राण।
नटखट बच्चों में निरख अपने सूत का रूप।
पोतों पर पड़ने नहीं देती अम्मा धूप।
पोते में माँ को दिखे अपने सूत का रूप।
चुम उन्हें अनुभव करे ,ब्रम्हानंद अनूप।
रहवासी इस भमि का ,होता पुत्र समान।
जुदा नहीं करती उसे ,दिल का टुकड़ा मान।
दुश्मन पर भारी पड़ी ,जो शहीद की लाश।
माँ ने सीने से लगा ,किया प्रगट उल्लास।
माता जैसा है मुझे मातृभूमि से प्यार।
इसे छोड़ जाऊँ भला क्या कुबेर के द्वार।
अम्मा जब क्रोधित हुई ,मैंने पकड़े पाँव।
माँ ने कर दी पीठ पर, कृपा दृष्टि की छाँव।
बेटों पर जब भी पड़ा विपदाओं का धाम
माता की छायी दुआ , बनकर बदली श्याम
जब पुत्रों के मार्ग में , आ जाता है काल
तब माता की प्रार्थना , बन जाती है ढाल
माता के आशीष ने , दिया मुझे आकाश
आशीषों की शक्ति का, मुझे अटल विश्वाश
जब भी माँ को छोड़कर , जाता हूँ पपरदेश
माँ देती है स्वप्न में , मुझे दिशा निर्देश।
माता तेरी गोद में , सुख है स्वर्ग समान
फॉर से बनना चाहता , मैं बच्चा नादान।
दिल से तो माता कभी हुई नहीं नाराज़ ,
ठुकरा दू माँ के लिए , मैं हीरों का ताज।
माँ प्रसन्न तो हैं मुझे, मौसम सभी वसंत
माँ के आँचल में मिली, खुशियां मुझे अनंत।
मात-पिता , गुरु चरण को, सदा नवाओ शीश
जग में उन्नत भाल हो, मिले विमल आशीष
है मेरा यह कीर्ती धन , माँ के पद की धूल
मै माँ के आशीष को, कभी न सकता भूल
पल -पल था संबल बना, जिसका लाड़-दुलार
मेरी सारी कीर्ती पर, है माँ का अधिकार।
Hope you like these Poem on mother in Hindi, maa shayari, grandmother poem. All these Hindi poems are taken from Books of Achcharya bhagwat dubey book name- Maa mamta ki murat.
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