Poem on Mahatma Gandhi in Hindi with Images | महात्मा गाँधी पर कविता


हमारे देश भारत को आज़ादी दिलाने वाले हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी पर कुछ खास कविताएं।  यह कविताएं आचार्य भगवत दुबे जी की पुस्तक गीत स्वाभिमान के से ली गयीं हैं.

इन कविताओं को आप महात्मा गाँधी जयंती पर अपने स्कूल , कॉलेज , ऑफिस में पढ़ सकते हैं, बच्चों के लिए बड़े ही आसान शब्दों की कविता।


Here are some Best Hindi Poem on Freedom fighter of India - Mahatma Gandhi. Easy Poem for kids in Hindi. We celebrate our Independence day on 15 August due to him and other brave Freedom fighters.

Poem on Mahatma Gandhi in Hindi(महात्मा गाँधी पर कविता): गांधीजी 

poem on mahatma gandhi in hindi
Poem on Mahatma Gandhi in Hindi


जिनको हम बापू कहते हैं,
वे महात्मा गाँधी थे
सदाचार, ईमान , अहिंसा,
सच्चाई की आँधी थे
दुबली थी उनकी कद काठी
सदा टेककर, चलते लाठी
दया , प्रेम , भाईचारे से
घृणा द्वेष की खाई पाटी
उनने दुखियों को अपनाया
छुआ-छूत का भेद मिटाया
सत्यगृह के बल पर उनने
भारत को आज़ाद कराया
राष्ट्रभक्त वे दयावान थे
सच्चरित्र वे ज्ञानवान थे
दीन -दुखी उनको थे प्यारे
गाँधी जी कितने महान थे 

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महात्मा गाँधी पर कविता
महात्मा गाँधी पर कविता 

महापुरुष बनकर दिखलाओ 

करो राष्ट्र की सेवा डटकर

महापुरुष बनकर दिखलाओ 

गाँधी जी की पढ़ो कहानी 
और जवाहर लाल की 

स्वाभिमान की गाथायें हैं 
लाल,बाल,और पाल की 

जाती-पाँति के भेद त्याग दो 
मजहब पर मत खून बहाओ 

याद शहीदों को रखना और 
"शास्त्री" सा चरित्र दिखलाओ 

भगतसिंह , सुखदेव, गुरु ने 
प्राण निछावर किये वतन पर 

चंद्रशेखर की कुर्बानी औ '
हमें गर्व नेता शुभाष पर 

राष्ट्र भक्ति का पाठ पढ़ो, औ '
सदा शहीदों के गुण गाओ 

ये अवतारी पुरुष 

थे अवतारी पुरुष ,प्रेम से 
जीत लिए जग सारा था 
वे महात्मा गाँधी जिनका 
सत्य,अहिंसा नारा था 

पराधीन थी भारत माता 
ब्रिटिश हुकूमत भारी थी 
अपमानों से भरी ज़िंदगी 
जीने की लाचारी थी 

भारतीय मजदूरों को जो 
अफ्रीका ले जाते थे 
थे अधिकार विहीन श्रमिक 
लड़ाई लड़ने को अधिकारों की 

दास्तान है बहुत बड़ी ,
अंग्रेजी अत्याचारों की 
बैरिस्टर गाँधी ने उनके 
हित में लड़ी लड़ाई थी 

असंतोष की चिंगारी से 
दाहक उठा अंगारा था 
वे महात्मा गाँधी जिनका 
सत्य,अहिंसा,  नारा था 

देश भ्रमण कर गाँधी ने 
ऐसा उत्साह जगाया था 
भारत का बच्चा बूढ़ा 
गाँधी के संग में आया था 

हो बंगाल - आकाल समस्या 
या की चाय बागानों की 
प्रश्न नील की खेती का 
या हो दुर्दशा किसानो की 

गाँधी ने प्रतिकार किया था 
शोषण औ ' मनमानी का 
दर्प दमन कर दिया अहिंसा से 
ब्रिटेन अभिमानी का 

दुखियों के उत्थान हेतु 
जिसने वैभव ठुकराया था 
छुआ-छूत की बीमारी का 
जिसने अन्त कराया था 

दीन-दुखी ,असहाय,रोगियों 
को जिनने पुचकारा था 
वे महात्मा गाँधी जिनका 
सत्य,अहिंसा नारा था 

अंग्रेजी साम्राज्य विश्व में 
जहाँ कहीं वः छाया था 
लूट-लूट धन वहाँ-वहाँ का 
लंदन को भिजवाया था 

भारत की अनमोल संपदा 
जमकर लूटी जाती थी 
वस्तुविदेशी महँगी बनकर 
फिर भारत में आती थी 

गाँधी ने महत्व समझाया 
था कुटीर उघोगों का 
जिस पर निर्भर थे जीवन 
हम भारत वासी लोगों का 

सूत कातकर वस्त्र बनाये 
चलन बढ़ा फिर खादी का 
वस्त्र विदेशी जला ,किया 
अनुशरण सभी ने गाँधी का 

हमें स्वावलंबन सिखलाने का 
यह उपक्रम सारा था 
वे महात्मा गाँधी जिनका 
सत्य अहिंसा नारा था 

जंगल पर अधिकार न था 
मजबूर कृषक वनवासी थे 
देश हमारा,और विदेशी 
बने यहाँ अधिशासी थे 

जंगल का कानून तोड़ कर 
आप लकड़ियाँ लाये थे 
अंग्रेजो की क्रूर हुकूमत को 
विरोध जतलाये थे 

नमक बनाना भी वर्जित था 
ऐसी रोक लगायी थी 
"दांडी मार्च " किया गाँधी ने 
सँग-सँग जनता छायी थी 

नमक बनाने दांडी को 
जिस पथ से गाँधी जाते थे 
लाखों नर-नारी सँग बढ़ते 
भले लाठियां खाते थे 

नमक बना , कानून तोड़कर 
सत्ता को ललकारा था 
वे महात्मा गाँधी जिनका 
सत्य अहिंसा नारा था 

असहयोग,हड़ताल,अवज्ञा 
अनशन शस्त्र निराले थे 
सत्य,अहिंसा,दया क्षमा के 
दर्शन नए निराले थे 

'करो-मरो' का देकर नारा 
जेल भराये गाँधी ने 
अंग्रेजो के पाँव उखाड़े 
असहयोग की आँधी ने 

लंदन में कान्फ्रेस हेतु 
अंग्रेजों ने बुलवाया था 
एक निहत्थे दुबले जन से 
ब्रिटिश राज्य थर्राया था 

भारत को आज़ाद कराने 
कोई कसार न छोड़ी थी 
बन्दी भारत माँ की उनने 
कठिन बेड़ियाँ तोड़ीं थी 

प्राणो की बलि देकर भी 
भारत का भाग्य सँवारा था 
वे महात्मा गाँधी जिनका 
सत्य अहिंसा नारा था 


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