Here are some Best short poem on Hindi-हिंदी भाषा पर कविता शायरी . Hindi is our mother tongue and we all love our Hindi language as Hindi hamari shaan hai. These Poems can be used in school and classes. Also find more related poem for hindi diwas 2020. All these Kavita on hindi bhasha are taken from the book of Sudhaon ke bhujpash.
हिंदी भाषा
हिंदी भाषा को अगर, नहीं मिला सम्मान
तो स्वतंत्र कैसे कहें, है यह हिंदुस्तान
है यह हिंदुस्तान , लदी जिस पर अंग्रेजी
पहली कक्षा तुच्छ , मानमंडित है के.जी.
कह भगवत कविराय , गर्व हो अभिलाषा को
मिले पूर्ण अधिकार , अगर हिंदी भाषा को
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हिंदी
हिंदी भाषा है सरल, संप्रेषण आसान
किन्तु इसे आज तक ,मिला नहीं सम्मान
मिला नहीं सम्मान , चले इंग्लिश का शाशन
उदासीन ही रहा , आज तक पंगु प्रशाशन
कह भगवत कविराय, पूर्ण होगी क्या आशा
या की उपेक्षित , सदा रहेगी हिंदी भाषा
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हिंदी दिवस
आता है हिंदी दिवस , एक वर्ष के बाद
हिंदी की समृद्धि की , तक आती है याद
तक आती है याद , राष्ट्रभाषा हिंदी की
उपमाये दी गयी जिसे , मणि की, बिन्दी की
कह भगवत कविराय, विवश शाशन मानवता
पर इसका आदेश , सदा इंग्लिश में आता
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हिंदी
हिंदी भाषा में भरा , संस्कृति का मकरंद
श्रद्धा से उसमे रचें , राष्ट्रभक्ति के छंद
राष्ट्रभक्ति के छंद , गर्व से बोलें हिंदी
कन्नड़, उड़िया, तमिल , सीख ले बँगला , सिन्धी
कह भगवत कविराय, बढ़ें हम प्रत्याशा में
होवें सारे काम , अगर हिंदी भाषा में
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हिंदी
माता जैसा हैं जिन्हें, मातृभूमि से प्यार
उड़िया, कन्नड़, तमिल , सब लें हिंदी स्वीकार
लें हिंदी स्वीकार, राष्ट्रहित प्रथम विचारें
छोड़ दुराग्रह इसे , राष्ट्रभाषा स्वीकारें
कह भगवत कविराय, सभी का इससे नाता
हिंदी से ही करें , समुन्नति भारत माता
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हिंदी
आश्रित हम सरकार पर , रहें न हिंदी हेतु
हमको ही संपर्क के , गढ़ना होंगे सेतु
गढ़ना होंगे सेतु , करें मन में द्रढ़ निश्चय
लेकर बढ़ें मशाल , बोलकर हिंदी की जय
कह भगवत कविराय, कहाँ तक रहें पराश्रित
हम खुद करें विकास , किसी के रहें न आश्रित
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हिंदी
इंग्लिश के अल्पज्ञ वे, करते फिरें गुमान
हिंदी भाषा का वही , करते हैं अपमान
करते हैं अपमान , जो की हिंदी की खाते
आडम्बर में मूढ़ , सुयश इंग्लिश का गाते
कह भगवत कविराय, करें मक्खन पालिश वे
चाटुकर गुणवान , किया करते इंग्लिश के
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हिंदी
आजादी जा जब कीया , हिंदी ने आह्वान
आया भारत देश में, तब स्वातंत्र्य विहान
तब स्वातंत्र्य विहान , गढ़े हिंदी के नारे
हिन्दू, मुस्लिम , सिख , संगठित होकर सारे
कह भगवत कविराय, इरादे थे फौलादी
ले हिंदी के शास्त्र , दिलाई थी आजादी
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हिंदी
फ्रेंच,चायनी , जर्मनी, रशियन भाषी देश
निज भाषा में कामकर, उन्नत हुए विदेष
उन्नत हुए विदेष , सुदृढ़ टर्की का शासक
टर्किश को सम्मान दिलाने, जुटे प्रशाशक
कह भगवत कविराय, स्वदेशी दायिनी
हिंदी फूले - फले की जैसे , फ़्रेन्व चायनी
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हिंदी
जब स्वतन्त्र टर्की हुआ, किया न तनिक बिलंब
टर्किश भाषा में किया , राज काज अविलम्ब
राज काज अविलम्ब, यहाँ यदि ऐसा होता
तो क्या हिंदुस्तान , राष्ट्रभाषा हित रोता
कह भगवत कविराय, बखेड़ा मिट जाता तब
हिंदी को स्वीकार देश कर लेता यदि जब
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हिंदी
मीरा मेवाड़ी तथा रजिस्थानी सूर
अवधि बोली के गए , हिंदी सुस्त सुदूर
हिंदी सुस्त सुदूर , भजन हिंदी में गाये
हमने शुभ सन्देश इसी हिंदी में पाए
कह भगवत कविराय, बढ़े हिंदी की गाड़ी
जैसे ब्रज के सूर , पूजी भक्तिन मेवाड़ी
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हिंदी
सुंदरता है प्रकृति की, नारी का श्रृंगार
हिंदी में आर्यत्व का, सांस्कृतिक आधार
सांस्कृतिक आधार , समूचा वैदिक दर्शन
है इंग्लिश में भरा , पश्चिमी नग्न प्रदर्शन
कह भगवत कविराय, काव्य की शब्द प्रखरता
मार्यादित लालित्य, सुकोमलता सुंदरता
तो ये थी कुछ हिंदी भाषा पर कविता, हिंदी की दुर्दशा पर कविता। हिंदी भाषा पर कविता - Short Poem on Hindi diwas in hindi Language - Hindi par Kavita. All these poems are for kids also.
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